Sunday, August 29, 2010

Some couplets for a refreshing change - Part 2

Here are a few more couplets of mine, originally written in Urdu but have been typed in Hindi here...


होश और आवाज़ के जागीरदारों, 
कब तलक तजुर्बे करोगे? 
कभी नेक दिली से सच्चा इश्क भी करके देखो.
यह दुनिया फानी है यारो |
इसमें ज़न, ज़मीन, जेवर की नहीं,
मोहब्बत-ए-बशर  की तमन्ना भी करके देखो |



उस अजनबी की भी अपनी कोई मजबूरी रही होगी, 
जो तुझसे बिना जाने धोका कर बैठा |
यह तेरी भी एक कमजोरी ही होगी,
जोह अनजाने में भरोसा कर बैठा |




उस दरख़्त का एक पत्ता आज फिर टूटा, 
आखर कार निगाह बानो का साथ भी हमसे छूटा 
ज़िन्दगी भी एक अजीब फलसफे का है नाम,
जितना हमने इसको चाहा, उतना ही इसने हमे लूटा |


more on the way...................

2 comments:

  1. I really appreciate ur work sir!!!

    Urdu is moi favr8 language n I've personal interest in urdu shayeri!!!

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